हिंदू धर्म में वेदमाता गायत्री की पूजा सभी प्रकार की कामनााओं को पूरा और कष्टों को दूर करने वाली मानी गई है। हिंदू मान्यता के अनुसार जिस देवी को सभी वेदों की माता माना गया है, उनकी जयंती हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है। मान्यता है कि गायत्री माता का जन्म इसी दिन हुआ था। हंस की सवारी करने वाली माता गायत्री के एक हाथ में चारों वेद और दूसरे हाथ में कमंडल सुशोभित है। आइए वेदमाता गायत्री के जन्म से जुड़े पावन पर्व की पूजा विधि और धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं।
पंचांग के अनुसार सावन पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली गायत्री जयंती इस साल 31 अगस्त 2023, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा 30 अगस्त 2023 को प्रात:काल 10:58 बजे से प्रारंभ होकर 31 अगस्त 2023 को प्रात:काल 07:05 बजे तक रहेगी।
सनातन परंपरा में माता गायत्री को त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश की देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि माता गायत्री देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती की अवतार हैं, जिनकी पूजा करने पर व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माता गायत्री की पूजा में जपा जाने वाला मंत्र जीवन से जुड़ी परेशानियों को दूर करके मनचाहा फल प्रदान कराने वाला है।
गायत्री जयंती पर वेदमाता की पूजा करने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद उगते हुए सूर्य को सबसे पहले अर्घ्य दें। इसके बाद एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां गायत्री की फोटो या फिर मूर्ति रखें। इसके बाद माता की प्रतिमा को गंगाजल से पवित्र करने के उन्हें पुष्प,धूप, दीप आदि अर्पित करें। गायत्री जयंती पर वेदमाता का आशीर्वाद पाने के लिए 108 या फिर 1008 बार गायत्री मंत्र का जप करें। गायत्री माता की पूजा करने के बाद अंत में उनकी आरती करें तथा सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है। मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति एक निश्चित समय पर पवित्र मन से इस मंत्र का 108 बार जाप करतााहै उसे सुख-सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता यह भी है कि इस मंत्र का लगातार तीन महीने तक प्रतिदिन एक माला जप करने वाले साधक पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है और उसे कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।