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Astrology

द्रौपदी का वो सबसे बड़ा राज जिसे जानकर पांडवों के पैरों तले....

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 28 2020 12:10AM | Updated Date: May 28 2020 12:10AM
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द्रौपदी को पांचाली के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू महाकाव्य, महाभारत में सबसे महत्वपूर्ण महिलाओं में से एक है। वह पांचाल के राजा द्रुपद की बेटी थी। द्रौपदी 5 पांडवों की पत्नी थी। आज हम आपको द्रौपदी से जुड़े ही एक राज के बारे में बताने जा रहे हैं। द्रौपदी 5 पांडवों में से सबसे ज्यादा प्यार अर्जुन से करती थी। पांडवों के निर्वासन के 12वें वर्ष के दौरान द्रौपदी और पांडव एक जंगल में थे तो वहां द्रौपदी को एक पेड़ पर जामुन लटके दिखाई दिए जो उसने तोड़ दिए। वह उन्हें खाने वाली थी तभी भगवान कृष्ण वहां पहुंच गए। उन्होंने कहा कि इन फलों से एक ब्राह्मण अपना 12 वर्षीय उपवास तोड़ने वाला था और अब तुम्हे वो श्राप दे सकता है।
 
ये सुनते ही द्रौपदी ने कृष्ण से उपाय पूछा तो उन्होंने बताया कि आप सब एक एक कर के सत्य बोलते जाओ। ये फल ऊपर जाता जाएगा और किसी ने झूठ बोलै तो फल ऊपर नहीं जाएंगे और आपको ब्राह्मण के शाप का शिकार होना पड़ेगा। शुरुआत युधिष्ठिर ने की और कहा कि पांडवों के साथ जो भी बुरा हुआ है उसकी जिम्मेदार द्रौपदी है। उसके ऐसा कहते ही फल थोड़ा ऊपर उठे। 
 
भीम ने कहा कि खाना, लड़ाई, नींद और वासना के प्रति उसकी आसक्ति कभी कम नहीं होती है। उसने आगे जारी रखते हुए कहा कि धतराष्ट्र के सभी पुत्रों को मार देंगे लेकिन युधिष्ठिर के प्रति उनके मन में काफी श्रद्धा है। लेकिन जो भी उसकी गदा का अपमान करेगा उसे वह मार देगा। ये कहते ही फल और ऊपर चले गए। 
 
अर्जुन ने कहा मैं युद्ध में कर्ण को मार नहीं दूंगा तब तक मेरे जीवन का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। इस से फल और ऊपर चले गए। नकुल और सहदेव ने भी ऐसे ही सच कहा और फल ऊपर बढ़ते गए। अंत में द्रौपदी की बाई आई तो उसने कहा कि मेरे पांच पति मेरी पांच ज्ञानेन्द्रियों (आंख, कान, नाक, मुंह और शरीर) की तरह हैं। लेकिन मैं अपने दुर्भाग्य के कारण परेशान हूँ। शिक्षित होने के बावजूद जो मैंने किया उसके लिए मुझे अफ़सोस है। ऐसा कहने पर फल ऊपर नहीं उठे।
 
इसके बाद द्रौपदी ने कहा कि मैं आप पांचों से प्यार करती हूं लेकिन इन सबसे ज्यादा प्यार मैं कर्ण से करती हूँ लेकिन जाति की वजह से मेरा विवाह कर्ण से नहीं हो पाया। यह सुनकर पांचों पांडव हैरान रह गए और फल वापस जाकर पेड में लग गए।
 
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