श्रीमद् भागवत में कई पौराणिक कथाएं हैं, साथ ही जीवन की कई नीतियां और रीतियां भी इसमें बताई गई हैं। जगह-जगह पर भगवान कृष्ण या किन्हीं ऋषियों ने इन नीतियों को बताया है। कहते कि अगर कोई व्यक्ति उसे अपने जीवन में उतार ले तो उसकी लाइफ की सारी परेशानियां दूर हो जाती है। भगवान कृष्ण ने अपने उपदेशों में ऐसी ही एक नीति बताई है यानि ऐसे लोगों के बारे में बताया है जिनका जीवन में कभी अपमान नहीं करना चाहिए...वरना इंसान इसके दुष्टपरिणाम झेलने पड़ते है।
भगवान का सम्मान
रावण सदा देवताओं का अपमान करता था और रावण ने कई देवताओं को अपना बंधी भी बना रखा था। रावण की और से किए गए इस अपमान की वजह से ही उसका विनाश हुआ था। इसलिए कहा जाता है कि कभी भी भगवानों का अपमान ना करें और सदा सच्चे मन से इनकी पूजी किया करें।
न करें वेदों का अपमान
ऐसा कहा जाता है कि असुर हमेशा ही वेदों के खिलाफ थे और इन्होंने कई बार वेदों को नष्ट करने कि कोशिश की थी। हालांकि जिन जिन असुरों ने वेदों का सम्मान नहीं किया उनको भगवान द्वारा दण्ड़ दिया गया था। इसलिए हर मनुष्य को अपने धर्म ग्रंथों और वेदों का सम्मान करना चाहिए।
जरूर करें गायों की पूजा
गायों की पूजा करने से हर पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं जो लोग गायों को पीड़ा देते है उन्हें पाप चढ़ता है। एक कथा के अनुसार बलासुर नामक एक असुर हुआ करता था और इस असुर ने देवताओं की सभी गायों का अपहरण कर लिया था। अपहरण करने के बाद बलासुर ने गायों को खूब पीड़ा दी । वहीं जब इस बात का पता देवराज इन्द्र को चला तो उन्होंने बलासुर का वध कर दिया।
ऋषि और ब्राह्मणों का ना करें अपमान
एक कथा के अनुसार ऋषि मैत्रेय, धृतराष्ट्र से मिलने के लिए उनके महल में आए थे और उनका स्वागत धृतराष्ट्र के पुत्रों ने काफी अच्छे से किया। हालांकि दुर्योधन ने महर्षि मैत्रेय का मजाक बनाना शुरू कर दिया। जिसकी वजह से वो गुस्सा हो गए और गुस्से में ऋषि ने दुर्योधन को युद्ध में मारे जाने का श्राप दिया था। इसलिए कहा जाता है की आप कभी भी किसी ऋषि या ब्राह्मणों का अपमान ना करें।
धर्म
इंसान को कभी भी अधर्म के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए। अश्वत्थामा गुरु द्रोण के पुत्र थे लेकिन समझदार होने के बाद भी वो हमेशा ही अधर्म के कामों में लगे रहे। अश्वत्थामा ने दुर्योधन का साथ महाभारत युद्ध में दिया औ अधर्म के रास्ते पर चलते हुए कई गलत काम किए। जिसकी वजह से भगवान कृष्ण ने उन्हें दर-दर भटकने का श्राप दिया था।