नई दिल्ली। ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने पर लगी रोक के फैसले के खिलाफ 19 वर्षीय मुस्लिम युवक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट में आज एकबार फिर ओडिशा के पुरी की विश्व प्रसिद्ध पुरी भगवान जगन्नाथ रथयात्रा पर सुनवाई होनी है। फिलहाल इस रथयात्र पर रोक है। दरअसल कोरोना माहमारी के चलते इस साल रथयात्रा के आयोजन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के खिलाफ एक मुस्लिम श्रद्धालु ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
ओडिसा के नयागढ़ जिले के आफताब हुसैन ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि पूरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा लगातार हजार वर्षों से की जा रही है और एक बार इसे रोक दिया गया तो अगले 12 वर्षों में मंदिर के अनुसार रथ यात्रा नहीं हो सकती। इससे राज्य की संस्कृति को नुकसान पहुंचेगा राज्य में अराजकता पैदा होगी। आफताब हुसैन की याचिका में कहा गया है कि रथयात्रा को रोकने के लिए कोई भी कदम दैवीय नाराजगी लाएगा। याचिका में कहा गया है कि अंग्रेजों के समय में भी रथयात्रा को कभी नहीं रोका गया है।
कोर्ट से अपने आदेश में बदलाव की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि रथ यात्रा पर रोक के कोर्ट के आदेश के बाद पूरे ओडिशा में गुस्सा है। कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। रथयात्रा पर रोक के खिलाफ एक और याचिका दायर हुई है। जगन्नाथ संस्कृति जन जागरण मंच ने रथयात्रा पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में बदलाव की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि जगन्नाथ यात्रा को केवल पुरी में निकालने की इजाज़त दी जा सकती है।
याचिका में आग्रह किया गया है कि यह यात्रा निकालने और पूजा के लिए लाखों लोगों को नहीं केवल 500-600 लोगों को इजाज़त मिले जो कोरोना संकट के मद्देनज़रजारी बचाव संबंधी गाइडलाइन और आपसी दूरी का पूरा ख़्याल रखेंगे। ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को कोरोना संकट के चलते ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ यात्रा निकालने और उससे जुड़ी गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। यह 23 जून को होनी थी। आदेश सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए यह आदेश ज़रूरी है।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने कहा था कि ” अगर हम इस वर्ष रथयात्रा की इजाजत नहीं देते हैं तो भी भगवान जगन्नाथ हमें माफ कर देंगे। महामारी के समय ऐसे आयोजन नहीं हो सकते हैं। लोगों के स्वास्थ्य के लिए आदेश ज़रूरी।” एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि रथयात्रा में लाखों लोगों के जमा होने से कोरोना संक्रमण की आशंका है। इसलिए इस वर्ष रथयात्रा पर रोक लगाने की मांग की गई थी।