नई दिल्ली। पिछले दिनों एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने इसी साल अगस्त के महीने में एक Hypersonic Missile का परीक्षण किया था। यह अलत बात है कि रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि चीनी हाइपरसोनिक मिसाइल लक्ष्य से काफी दूर गिरी। फिर भी इस खबर ने अमेरिका समेत कई विकसित देशों में हलचल पैदा कर दी। अब अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत भी उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जो हाइपरसोनिक मिसाइल को बनाने की दिशा में काम कर रहा है। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास में रूस तकनीकी मदद मुहैया करा रहा है। स्वतंत्र कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने इस सप्ताह जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका, रूस और चीन सबसे आधुनिक हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम चला रहा हैं। इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया, भारत, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देश भी हाइपरसोनिक हथियार तकनीक विकसित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और भारत ने रूस के साथ इस संबंध में गठजोड़ किया है। इसके तहत भारत मैक 7 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस 2 को विकसित करने में रूस से तकनीकी सहयोग ले रहा है।
रिपोर्ट में सामरिक विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि हालांकि ब्रह्मोस 2 को 2017 में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन समाचार रिपोर्ट संकेत देती है कि इस कार्यक्रम में काफी देर हो गई। अब इसके लिए 2025 और 2028 के बीच हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। सीआरएस के मुताबिक भारत अपने हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन कार्यक्रम के तहत एक स्वदेशी, दोहरे रूप से सक्षम हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी विकसित कर रहा है और उसने जून 2019 और सितंबर 2020 के बीच मैक 6 स्क्रैमजेट का सफलतापूर्वक परीक्षण भी कर लिया गया है।
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दर्जन भर हाइपरसोनिक पवन सुरंगों को बना चुका है, जिनमें 13 मैक तक की गति का परीक्षण करने में सक्षम है। फाइनेंशियल टाइम्स की खबर के मुताबिक चीन ने अगस्त में एक परमाणु-सक्षम मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसने अपने लक्ष्य की ओर तेजी के साथ बढ़ने से पहले पृथ्वी का चक्कर लगाया। इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी हैरान रह गई थीं। हालांकि चीन ने प्रतिक्रिया में कहा है कि उसने एक हाइपरसोनिक यान (व्हीकल) का परीक्षण किया है, न कि परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का। बताते हैं कि चीन ने उन्नत अंतरिक्ष क्षमता वाली एक हाइपरसोनिक मिसाइल अपने लक्ष्य से 24 मील की दूरी पर जा गिरी थी।