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क्या केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मिलेगी राहत? गिरफ्तारी पर सुनवाई आज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 3 2024 3:25PM | Updated Date: May 3 2024 3:25PM
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दिल्ली शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई जारी है। केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी अदालत के सामने दलीलें पेश कर रहे हैं। 30 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल पूछे थे। जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि आम चुनावों से पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?

बता दें कि दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 23 अप्रैल को केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 7 मई तक बढ़ा दी थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री 1 अप्रैल से तिहाड़ जेल में बंद हैं। ईडी की गिरफ्तारी से बचने के लिए केजरीवाल ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद दिल्ली के सीएम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से 12 जनवरी के ईडी के जवाब हवाला दिया। सिंघवी ने कहा कि कि ED ने अपने जवाब में कहा था कि PMLA की धारा 50 के तहत तलब किया गया। व्यक्ति समन के समय आरोपी नहीं होता। सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल एक सम्मनकर्ता हैं। इसके तहत केजरीवाल ना ही आरोपी हैं और ना ही दोषी। सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल को 16 मार्च को समन भेजा गया। ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को शामिल होने के लिए कहा तो यह स्पष्ट है कि केजरीवाल 16 मार्च तक आरोपी नहीं थे। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि जब तक आप गिरफ्तार नहीं हो जाते, आप आरोपी नहीं हैं।

सिंघवी ने कहा कि मैंने लिखित में पूछा था कि क्या मैं आरोपी हूं? उनकी अपनी समझ के मुताबिक 16 मार्च तक मैं आरोपी नहीं था। वे 21 मार्च को अदालत में गिरफ्तारी की आवश्यकता कैसे दर्शाते हैं? सिंघवी ने कहा कि जिन सबूतों के आधार पर मुझे गिरफ्तार किया गया है। वे 2023 से पहले के हैं। मनीष सिसोदिया के मामले में भी यही सबूत आधार हैं, मनी ट्रेल चार्ट वही था। सिंघवी ने अब सेंथिल बालाजी फैसले का हवाला देते हुए कहा PMLA की धारा 19(1) कोई भी गैर-अनुपालन गिरफ्तारी को रद्द कर देता है।

जस्टिस संजीव खन्ना ने सिंघवी से पूछा कि दिल्ली में चुनाव कब है? सिंघवी ने जवाब दिया कि दिल्ली में 25 मई को चुनाव हैं। 23 मई को चुनाव प्रचार खत्म हो जाएंगे। जस्टिस खन्ना ने पूछा- चुनाव की तारीख की घोषणा कब हुई थी? सिंघवी ने कहा कि चुनाव की घोषणा 16 मार्च को हुई थी और गिरफ्तारी 21 मार्च को हुई।

क्या न्यायिक कार्यवाही के बिना आप यहां जो कुछ हुआ है, उसके संदर्भ में आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं? इस मामले में अब तक कुर्की की कोई कार्यवाही नहीं हुई है, तो बताएं कि याचिकाकर्ता कैसे शामिल है?

जहां तक ​​मनीष सिसोदिया मामले की बात है। पक्ष और विपक्ष में निष्कर्ष हैं तो हमें बताएं कि केजरीवाल का मामला कहां है?

याचिकाकर्ता का मानना ​​है कि धारा 19 की सीमा, जो अभियोजन पर जिम्मेदारी डालती है ना कि आरोपी पर काफी विस्तृत है और इस प्रकार नियमित जमानत की मांग नहीं होती है, क्योंकि वे धारा 45 का सामना कर रहे हैं और जिम्मेदारी उन पर आ गई है तो हम इसकी व्याख्या कैसे करें। क्या हम सीमा को बहुत विस्तृत बनाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि जो व्यक्ति दोषी है उसका पता लगाने के लिए मानक समान हों?

कार्यवाही शुरू होने और फिर गिरफ्तारी आदि की कार्रवाई के बीच के समय अंतराल के मद्देनजर यदि आप धारा 8 देखें तो 365 दिनों की सीमा है। हालांकि यह जमानत के मामले में हैं।

फिर गिरफ़्तारी का समय। चुनाव के पहले ऐसा क्यों किया?

बता दें कि इस मामले में 15 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया था। ईडी को 24 अप्रैल तक जवाब देना था। इसके बाद ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। हलफनामे में ईडी ने शीर्ष अदालत से कहा था कि सीएम केजरीवाल शराब घोटाले के सरगना और साजिशकर्ता हैं। दिल्ली शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने सीएम केजरीवाल को लगातार 9 बार समन भेजने के बाद 21 मार्च को लंबी पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया था।

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